भंडार लेखा
- वह स्थान जहां से विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त भंडार एकत्रित कर भंडारित किया जा सके एवं उपभोक्ता विभागों को वितरित किया जा सके डिपो(Depot) कहलाता है।
- प्रत्येक डिपो को 2 अंक का कोड आवंटित किया जाता है।
- वह मदें जिनकी लगातार मांग के कारण नियमित पुनर्रावृत्ति (टर्न ओवर) होती रहती है स्टॉक मदें(Stock Item) कहलाती हैं।
- वह मदें जिनकी ना तो लगातार मांग होती है और ना ही जिनकी नियमित पुण्यावर्ती(Turnover) है और ना ही जिन्हें आपातकाल की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भंडार में रखा जाता है उसे नान स्टॉक मदें(Non-stock Item) कहते हैं।
- वह मदें जो किसी कार्य विशेष के लिए खरीदे जाते हैं और सीधे कार्यस्थल पर भेज दिए जाते हैं विशेष स्टॉक(Special Stock) कहलाते हैं।
- वे सामग्रियां जिनको उपयोग हेतु पिछले 24 महीनों से जारी नहीं किया गया है उन्हें अधिशेष स्टोर(Surplus Store) कहते हैं।
यह दो प्रकार के होते हैं:-
- चल अधिशेष(Moveable Store)
- मृतप्राय अधिशेष(Dead Surplus Store)
- वे सामग्री जिन्हें पिछले 24 महीनों से जारी नहीं किया गया है परंतु निकट भविष्य में उपयोग की आशा है उसे चल अधिशेष (Moveable Store) कहते हैं।
- वे सामग्री जिन्हें पिछले 24 महीनों से जारी नहीं किया गया है और अगले 2 साल तक भी उपयोग की आशा नहीं है उन्हें मृतप्राय अधिशेष (Dead Surplus Store) कहते हैं।
- वार्षिक जारी सामग्री से 40% से अधिक सामान्य स्टोर सामग्री को सामान्यतः ओवरस्टॉक माना जाता है।
- सप्लायर की देरी के कारण रेलवे के कार्यों में नुकसान ना हो ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जो स्टॉक रखा जाता है उसे बफर स्टॉक(Buffer Stock) कहते हैं।
- वह मात्रा, जो खरीद के कुल आदेश के कुल मूल्य को अत्यंत कम करने एवं वस्तु सूची के रख-रखाव पर होने वाले खर्च को कम करने में सहायक हो, मितव्ययी मात्रा आदेश(Economic Order Quantity) कहलाती है।
- वह दर जो मूल सूची में प्रदर्शित होता है जो कि भंडार नियंत्रक द्वारा स्टॉक में भंडार की प्रत्येक मद के लिए रखी जाती है उसे मूल्य सूची दर(Price List Rate) कहते हैं।
- वह दर जो मूल्यांकन खाते में उपलब्ध है मूल्य शेष(Value) को परिणाम शेष(Quantity Balance) से भाग देने से आती है उसे औसत खाता दर(Book Average Rate) कहते हैं।
- मूल्य सूची का उद्देश्य होता है उपभोक्ता विभाग को सामग्री का सटीक विवरण, उनके सूचक अंको तथा लगभग कीमत की सूचना उपलब्ध कराना।
- वह भंडार जो कि प्रयुक्त किए जाने के फलस्वरूप नष्ट हो जाते हैं उपभोग योग्य भंडार(Consumable Store) कहलाते हैं। जैसे रद्दी, रुई, चिकनाई आदि।
- प्रत्येक भंडार वाली मद जो कि स्टॉक में पड़ी है के लिए निर्धारित की गई सीमा जिससे कम या अधिक शेष आमतौर पर नहीं रखा जाता उस सीमा को स्टॉक की अधिकतम और न्यूनतम सीमा (Maximum and Minimum Limit) कहलाती है।
- किसी भी मद के लिए अधिकतम सीमा उसके न्यूनतम सीमा के दुगने से अधिक नहीं होना चाहिए।
- स्टोर की खरीद के लिए जो आदेश फर्मो को दिए जाते हैं उन आदेशों को खरीद आदेश(Purchase Order) कहते हैं।
- भंडार की सामग्रियों को 9 मुख्य समूह(Major Group) जो 75 समूह(Group) में बांटा गया है।List
- प्रत्येक मद के विशिष्ट पहचान हेतु 8 अंकों का कोड/नंबर आवंटित किया गया है जिसे उस मद का मूल्य सूची संख्या (Price List Number) कहते हैं।
- मूल्य सूची संख्या का प्रथम दो अंक ग्रुप, उसके बाद के दो अंक अर्थात तीसरा और चौथा अंक सब ग्रुप, उसके बाद के तीन अंक अर्थात पांचवा छठा और सातवां अंक मद का क्रम संख्या और अंतिम अंक चैक डिजिट को प्रदर्शित करता है।
- प्रेषिती कोड(Consignee Code) 5 अंकों का होता है जिसमें बाएं से पहला अंक डिवीजन, दूसरा अंक विभाग, तीसरा और चौथा अंक उपभोक्ता की क्रम संख्या और अंतिम अंक चैक डिजिट को प्रदर्शित करता है।
- चैक डिजिट मोड्यूलस 11 पद्धति(MODULAS 11) से ज्ञात किया जाता है। दूसरे शब्दोंं में मूल्य सूची संख्या(PL Number), प्रेषिती कोड (Consignee Code) की सत्यता की जांच मोड्यूलस 11(MODULAS 11) पद्धति से की जा सकती है।
- क्रय आदेश (Purchase Order) 16 अंको का होता है।
उदाहरण के लिए क्रय आदेश संख्या XX.XX.XXXX.X.XXXXX.XX है जो कि निम्न सूचनाएं प्रदर्शित करती हैं
बाएं से XX - क्रय भुगतान संख्या
XX - रजिस्ट्रेशन का वर्ष
XXXX - डिमांड संख्या
X - आदेश का प्रकार
XXXXX - क्रय आदेश संख्या
XX - कंसाइनी क्रम संख्या - भंडार विभाग द्वारा सामग्री कारखानों से बनवाने हेतु जारी आदेश को कार्यादेश(Work Order) कहलाता है।
- प्रेषती एलोकेशन कोड(Consignee Allocation Code) 7 अंकों का होता है जिसमें प्रथम 2 अंक डिमांड की ग्रांट, उसके बाद के 4 अंक हेड ऑफ अकाउंट और अंतिम अंक कार्य के प्रकार या उद्देश्य को प्रदर्शित करता है।
- एक डिपो से दूसरे डिपो तक सामान स्थानांतरण हेतु बनाया जाने वाला वाउचर जिसे स्थानांतरण वाउचर कहते हैं, 4 प्रति में बनाया जाता है।
- डिपो में रखी सामग्री का वार्षिक, लाइन पर रखे सामान का 2 वर्ष में एक बार तथा T&P सामान का 3 वर्ष में एक बार सत्यापन (Stock Verification) किया जाता है।
- महानिदेशक खरीद एवं निपटारा(DGS&D) के माध्यम से प्राप्त आपूर्तियों के लिए डिपो से प्राप्त रसीद आदेशों पर आईएसडी(ISD) लिखा जाता है।
- स्टोर विभाग के अनुरोध पर रेल कारखाना द्वारा तैयार सामग्री स्टोर को फार्म एस 1531 पर (5 प्रति) में तैयार कर सुपूर्द करती है।
- किसी भी संस्थान, उपक्रम या फर्म के पास उपलब्ध आवश्यक सामग्री संपत्ति आदि की सूची को वस्तु सूची(Inventory) कहते हैं।
- रेलवे में वस्तु सूची मुख्यत: दो प्रकार की होती है:-
- मशीनरी औजार और संयंत्र के रूप में पड़ी अचल संपत्ति
- नियमित निष्क्रिय इन्वैन्टरी
- ABC वर्गीकरण(ABC Analysis) के अंतर्गत भंडार की वस्तुओं को A,B औरC श्रेणी में रखा जाता है।
- सही भविष्यवाणी, सही योजना, सही समय पर सही मात्रा में माल खरीदने में के लिए एबीसी वर्गीकरण पद्धति का उपयोग किया जाता है।
- भंडार प्रबंधन में किसी वस्तु पर कितना और कैसा नियंत्रण रखना है इसका ज्ञान ABC वर्गीकरण पद्धति से ज्ञात होता है।
- तीव्र(Fast), धीमे(Slow), निष्क्रिय गति(Non-Moving) से जारी होने वाले मद के आधार पर वर्गीकरण को FSN वर्गीकरण (FSN Analysis) कहलाता है।
- वस्तुओं की आवश्यकता के अनुरूप स्टॉक बनाए रखने के लिए FSN वर्गीकरण (FSN Analysis) का उपयोग भी किया जा सकता है।
- FSN पद्धति में वस्तुओं को 3 भाग में वर्गीकृत किया गया है:-
- तीव्र गति(Fast Moving):-ऐसी वस्तुएं जो तेजी से इश्यू होती है। इनके निर्गम पर आवश्यकतानुसार नियंत्रण रखना जरूरी है।
- धीमी गति(Slow Moving):-ऐसी वस्तुएं जिनका निर्गम धीमी गति से होता है। ऐसी वस्तुओं के निर्गम बढ़ाने की आवश्यकता होती है और खरीद पर अंकुश लगाया जाना आवश्यक हो जाता है।
- निष्क्रिय गति(Non Moving):-जिन वस्तुओं का निर्गम नहीं हो रहा है, ऐसी वस्तुओं का प्राथमिकता के आधार पर निपटारा आवश्यक होता है। ऐसी वस्तुओं की खरीद तुरंत बंद करनी होती है।
- जब भंडार की वस्तुओं का वर्गीकरण महत्वपूर्ण(Vital), आवश्यक(Essential), अपेक्षित(Desirable) आधार पर किया जाता है तो इसे VED वर्गीकरण पद्धति(VED Analysis) को कहते हैं।
- सेवा स्तर बनाए रखने के लिए एवं सेवा स्तर की अधिकतम सीमा निर्धारण हेतु VED वर्गीकरण पद्धति(VED Analysis) का उपयोग किया जाता है।
- वैसी वस्तुएं जिनके अभाव में उत्पादन कार्य या रेल का संचालन रुक सकता है उसे महत्वपूर्ण(vital) श्रेणी में रखा जाता है। जैसे इंधन के अभाव में मोटिव पावर।
- वैसी वस्तुएं जिनके अभाव में उत्पादन कार्य या रेल का संचालन कुछ समय तक चल सकता है परंतु अधिक देरी से रेलों के संचालन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है उसे आवश्यक(Essential) की श्रेणी में रखा जाता है। जैसे ग्रीस
- वैसी वस्तुएं जिनके अभाव में उनकी एवजी वस्तु(Substitute) द्वारा काम निकाला जा सकता है उसे अपेक्षित(Desirable) की श्रेणी में रखा जाता है। जैसे वस्तुओं के पुर्जे, पंखे आदि।
- VED वर्गीकरण पद्धति अपनाने से 97% से लेकर 99% तक माल आवश्यकतानुसार उपलब्ध हो जाता है।
- वस्तु सूची नियंत्रण कक्ष(Inventory Control Cell) वरिष्ठ भंडार अधिकारी(SSO Inventory Control) की देखरेख में स्थापित किया गया है।
- खाली डिब्बों को 3 वर्गों में बांटा गया है:-
- ना लौटाए जाने वाले खाली डिब्बे
- विकल्पतः(optionally) लौटाए जाने वाले खाली डिब्बे
- लौटाए जाने वाले खाली डिब्बे
- उपयोग में आने वाले खाली डिब्बे को 'खाली डिब्बे' नाम के अलग अनुभाग में समूह 98 स्टाक में रखा जाता है।
- विविध जमा(Deposit Miscellaneous) लेखा शीर्ष क्रेडिट शेष प्रदर्शित करता है जबकि विविध अग्रिम पूंजी (Miscellaneous Advance Capital) लेखा शीर्ष डेबिट शेष प्रदर्शित करता है।
- खरीद लेखा(Purchase Account) का शेष सामान्यतः क्रेडिट होता है जबकि विक्रय लेखा(Sale Account) का शेष सामान्यतः डेबिट होता है।
भंडार सामग्री के खरीद(sale tender) के लिए बयाना राशि(Earnest Money) 5% लिया जाता है।(Letter)- स्टॉक बुक व फिजिकल स्टोर में अंतर होने पर स्टोर जांचकर्ता द्वारा स्टॉकशीट(Stock Sheet) तैयार किया जाता है।
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