सरकारी लेखा
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भारत सरकार के लेखों को तीन भागो में बाटा गया है जो निम्न है:-
- भाग 1 समेकित निधि (Consolidated Fund)
- भाग 2 आकस्मिक निधि (Contigency Fund)
- भाग 3 लोक लेखा निधि (Public Account Fund)
- समेकित निधि का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 266(1) में है।
- समेकित निधि के अंतर्गत भारत सरकार को प्राप्त होने वाली सभी राशियां जैसे राजस्व प्राप्तियाॅ, बाहर से लिए गए ऋण, दिए गए ऋणों की वसूली एवं वसूल किया गया ब्याज आदि आते हैं।
- समेकित निधि से खर्च करने से पूर्व संसद के दोनों सदनों से खर्च की मंजूरी आवश्यक है- अनुच्छेद 114(1) ।
- समेकित निधि के खर्चो को मुख्यत: तीन भाग में बांटा जाता है जो निम्न है:-
- राजस्व खर्च
- पूंजी खर्च
- कर्ज एवं ब्याज
- समेकित निधि के प्रथम भाग राजस्व से यह पता चलता है कि वर्ष के दौरान बचत हुई या घाटा।
- आकस्मिक निधि का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 267(1) में है।
- वह खर्च जिनका प्रावधान पूर्व बजट में नहीं किया गया था एवं आगामी बजट तक रोका जाना संभव नहीं है उन खर्चो के लिए राशि आकस्मिक निधि से दी जाती है।
- आकस्मिक निधि राष्ट्रपति के नियंत्रण के होती है एवं रेलवे में वित्त आयुक्त (FC) के नियंत्रण में होती है।
- आकस्मिक निधि अग्रदाय(Imprest) प्रकृति का होता है।
- आकस्मिक निधि की प्रतिपूर्ति समेकित निधि से कि जाती है।
आकस्मिक निधि से धन प्राप्त करने हेतु वित्त आयुक्त(FC) के पास आवेदन पत्र के साथ तत्कालिक प्रमाणपत्र(Urgency Certificate) संलग्न कर प्रस्तुत की जाती है।- समेकित निधि एवं आकस्मिक निधि के अतिरिक्त शेष लेन-देन लोक लेखा के अंतर्गत आता है।
- भारत सरकार द्वारा प्राप्त सभी अन्य सार्वजनिक रकमे एवं भुगतान लोक लेखा के अंतर्गत आती है।
- लोक लेखा को दो भागों में बाटा गया है जो निम्न है:-
- ऋण एवं जमा शीर्ष
- प्रेषण शीर्ष (Remittance Heads)
- समायोजन के लिए प्रयोग किया जाने वाला लेखा शीर्ष प्रेषण शीर्ष है।
- समेकित निधि के अंतर्गत नहीं आने वाले ऋण एवं जमाए, लोक लेखा निधि के ऋण एवं जमा शीर्ष के अंतर्गत आते है।
- भविष्य निधि खाते के लेनदेन जमा एवं भुगतान लोक लेखा निधि के ऋण एवं जमा शीर्ष अंतर्गत आते हैं।
- ठेकेदारों से निवेश प्रतिभूतिया की जमा एवं भुगतान लोक लेखा निधि के ऋण एवं जमा शीर्ष के अंतर्गत आते हैं।
- बजट(Budget) या प्रति वर्ष वित्तीय विवरण का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 112(1) में है।
- बजट में प्रस्तावित खर्च दो प्रकार के होते है:-
- स्वीकृति(Voted)
- प्रभारित(Charged)
- वह खर्च जिसे करने के लिए संसद में वोट द्वार पास लिए जाने के उपरांत किया जाता है उसे स्वीकृत या वोटेड खर्च कहते है।
- वह खर्च जिसे करने के लिए सिर्फ राष्ट्रपति की मंजूरी (संसद के मंजूरी कि आवश्यकता नहीं है) आवश्यक है उसे प्रभारित खर्च कहते हैं।
- प्रभारित खर्च का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 113(1) में है।
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