Tender

निविदा

  • वह प्रस्ताव जो की ठेकेदारों के द्वारा कुछ निश्चित हालातों में एवं निश्चित अवधि में किसी कार्य को करने या माल की सप्लाई के लिए पेश किया जाता है उसे निविदा(Tender) कहते हैं।
  • निविदा मुुख्यतः तीन प्रकार की होती है।
    • खुली निविदा प्रणाली(Open Tender System)
    • सीमित निविदा प्रणाली(Limited Tender System)
    • एकल निविदा प्रणाली(Single Tender System)
  • सार्वजनिक रूप से सभी योग्य एवं इच्छुक ठेकेदारों द्वारा निविदा आमंत्रित किए जाने की प्रणाली खुली निविदा प्रणाली कहलाती है।
  • सीमित निविदा प्रणाली में निविदा अनुमोदित सूची के ठेकेदारों द्वारा आमंत्रित की जाती है।
  • सीमित निविदा प्रणाली द्वारा निविदा आमंत्रित करने हेतु अनुमोदित सूची में ठेकेदारों की संख्या कम से कम 10 होनी चाहिए।
  • सीमित निविदा प्रणाली में अनुमोदित ठेकेदारों द्वारा कम से कम तीन ठेकेदार द्वारा निविदा प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए।
  • ठेकेदारों के अनुमोदित सूची की वैधता 3 साल होती है।
  • ठेकेदारों के अनुमोदित सूची की समीक्षा प्रति वर्ष की जाती है।(Para 1216E)
  • अनुमोदित सूची को चार श्रेणी क्रम में विभाजित किया गया है जो कि निम्न है:-(new list)
    • श्रेणी 'क' - 50 लाख से अधिक किंतु 1 करोड़ रुपए तक
    • श्रेणी 'ख' - 25 लाख से अधिक किंतु 50 लाख रुपए तक
    • श्रेणी 'ग' - 10 लाख से अधिक किंतु 25 लाख रुपए तक
    • श्रेणी 'घ' - 10 लाख रुपए तक
  • वह निविदा पद्धति जिसमें निविदा केवल एक ही फर्म या ठेकेदार से आमंत्रित की जाती है वह पद्धति एकल निविदा पद्धति कहलाती है।
  • रेलवे बोर्ड अथवा भारत सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से कार्य करवाने अथवा खरीदने के लिए अपनाई गई निविदा पद्धति ग्लोबल निविदा पद्धति या जगतिक निविदा कहलाती है।
  • वह निविदा जो निविदा खुलने के समय से पहले लेकिन निविदा प्राप्ति की नियत तारीख और समय के बाद प्राप्त होता है उसे विलंबित निविदा/टेंडर(Delayed Tender) कहते हैं
  • वह निविदा जो निविदा खुलने के समय के बाद प्राप्त होता है उसे देरी निविदा(Late Tender) कहते है।
  • ठेकेदारों द्वारा निविदा जमा करते समय जो रकम निविदा के साथ जमा की जाती है उसे ब्याने की रकम (Earnest Money) कहते हैं।
  • रेलवे द्वारा ब्याना राशि लिए जाने का मुख्य उद्देश्य यह है की निविदा मंजूर किए जाने के बाद यदि ठेकेदार द्वारा जमानत राशि जमा नहीं कराई जाती है या समय से काम आरंभ नहीं करने पर या काम करने से मना करने पर रेलवे को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए ली जाने वाली राशि ब्याना राशि कहलाती है।
  • ब्याना राशि लिए जाने की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपया है।
  • ब्याना राशि एक करोड़ तक कि अनुमानित लागत तक के ठेके के लिए अनुमानित ठेके के लागत का 2% कि दर से तथा उससे अधिक लागत के ठेके के लिए शेष राशि पर 1/2% (0.5%) कि दर से गणना की जाती है।
  • ब्याना राशि का निर्धारण निकटतम 100 के गुणज में किया जाता है।
  • रेलवे को जमा की गयी जमानत राशि/ब्याना राशि को ठेकेदार को बिना ब्याज दिए वापस किया जाता है।
  • ठेकेदार द्वारा निविदा/ठेका मंजूर हो जाने के बाद कार्य को सुरक्षित एवं सफतापूर्वक पूर्ण करने के उद्देश्य से को राशि जमा करवाई जाती है उसे सुरक्षा जमा या जमानत राशि (Security deposit) कहते हैं।
  • जमानत राशि ठेके लागत का 05% लिए जाता है।
  • रनिंग बिल से जमानत राशि 6% कि दर से काटा जाता है जबतक की यह राशि ठके कि लागत का 5% के बराबर ना हो जाए।
  • निविदा स्वीकार करने के बाद अनुबंध पत्र(Agreement Letter) हस्ताक्षर होने से पूर्व ठेकेदार द्वार ठेके के लागत का 5% बैंक गारंटी राशि जमा करानी होती है जिसे परफॉर्मेंस गारंटी(Performance Guarantee) कहते है।
  • परफोरमेंस गारंटी के रूप में जमा कि बैंक गारंटी कि वैधता कार्य निष्पादन की तारीख से 60 दिन अधिक होना चाहिए।
  • परफोरमेंस गारंटी LOA जारी होने के अधिकतम 21 दिनों के भीतर जमा किया जाना आवश्यक है(निर्माण के मामले में) ।
  • सक्ष्म अधिकारी(जो निविदा करार पर हस्ताक्षर कर सकता हो) के अनुमोदन के उपरान्त परफोरमेंस गारंटी की रकम जमा करने की अधिकतम सीमा 60 दिन है(निर्माण के मामले में)।
  • 21 दिन के बाद परफोरमेंस गारंटी जमा किए जाने पर अतरिक्त दिनों पर लिए जाने वाले शुल्क को पैनल ब्याज(Penal Interest) कहते है(निर्माण के मामले में)।
  • पैनल ब्याज(penal interest) की दर 12% है।
  • कार्य के दौरान अनुबंध मूल्य में 25% तक के परिवर्तन(variation) के लिए दोबारा परफोरमेंस गारंटी लेने की आवश्यकता नहीं है।
  • कार्य के दौरान अनुबंध मूल्य में 25% से अधिक के परिवर्तन(variation) होने पर 5% परफोरमेंस गारंटी  लौटाया या अतरिक्त लिया जाएगा(निर्माण के मामले में)।
  • ठेकेदार द्वारा परफोरमेंस गारंटी नहीं जमा किए जाने पर या कार्य प्रारंभ होने के उपरांत कार्य करने से मना करने या अनुबंध रद्द करने पर पुनः ठेका(re tender) निकालने पर(पूरे या शेष कार्य के लिए) वह ठेके में भाग नहीं ले सकता है।
  • परफोर्मेंस गारंटी(PG) कार्य समाप्त होने के उपरांत सक्ष्म अधिकारी द्वारा कार्य समापन प्रमाण पत्र(Completion Certificate) प्राप्त करने बाद परफोर्मेंस गारंटी(PG) की राशि वापस कर दिया जाता है।
  • सर्विस ठेके(service contract) के मामले में परफोर्मेंस गारंटी(PG) ठेके के मूल्य का 10% लिया जाता है।(अब 5% है ref No.2017/EnHM/25/11 dtd. 24.05.2024 )
  • सर्विस ठेके(service contract) के मामले में परफोर्मेंस गारंटी(PG) 30 दिन के भीतर जमा किया जाना है।
  • सर्विस ठेके(service contract) के मामले में परफोर्मेंस गारंटी(PG) सक्ष्म अधिकारी के अनुमोदन प्राप्त करने के बाद 60दिन(अर्थात् अब 90 दिन के भीतर जमा करना है) का अतरिक्त समय दिया जाता है।
  • सर्विस ठेके(service contract) के मामले में पैनल ब्याज 15% लिया जाता है।
  • सर्विस ठेके(service contract) के मामले में ठेक  के मूल्य में 25% से अधिक का परिवर्तन होने पर परफोर्मेंस गारंटी(PG) ठेके के अतरिक्त मूल्य का 10% राशि पुनः लिया या लौटाया जाता है।
  • जमानत राशि(SD) कार्य के देखरेख की अवधि(maintenance period) समाप्त होने, अन्तिम बिल का भुगतान(Final Bill) और सक्ष्म अधिकारी द्वारा no claim certificate प्राप्त होने के बाद वापस कर दिया जाता है।
  • निविदा पद्धति की प्रकिया(संक्षिप्त विवरण):-
    • निविदा का फॉर्म तैयार करना
    • निविदा आमंत्रण की सक्ष्म अधिकारी से स्वीकृति
    • निविदा आमंत्रण सुचना(Notification Inviting Tender) प्रकाशित करना
    • निविदा फॉर्म की बिक्री
    • निविदा प्रस्ताव सील बंद लिफाफे में प्राप्त करना
    • निविदा खोलना
    • हिदायती नोट(brief notes) तैयार करना 
    • निविदा समिति का गठन
    • निविदा समिति के सदस्यों द्वारा विचार विमर्श एवं सिफारिश
    • सिफारिश को सक्ष्म  अधिकारी के पास मंजूरी हेतु प्रस्तुत किया जाना
    • सिफारिश सक्ष्म अधिकारी द्वारा स्वीकार किए जाने पर स्वीकृति पत्र जारी(Letter of Acceptance) करना
    • करार(agreement) पर हस्ताक्षर करना
  •  टेंडर समिति में कम से कम 3 सदस्य होने चाहिए जिसमें एक व्यक्ति लेखा विभाग से, दुसरा व्यक्ति कार्यपालक विभाग से और तीसरा व्यक्ति अन्य विभाग से हो जो ऐसे ठेकों के मामले का ब्यौहारता हो लेकिन ठेका कम मूल्य का होने पर प्रथम दो ही सदस्य होंगे।(Modify tender Committee of Earning Contact)
  • अनुमोदित सूची के ठेकेदारों द्वारा क्षेत्रीय रेलवे सिविल इंजीनियरिंग विभाग में स्थाई बयाना रकम जमा करवाई जाती है जिससे उस विभाग द्वारा जारी निविदा सूचनाओं के संबंध में जमा किए जाने वाले निविदा फार्म के साथ हर समय बयाना रकम भरने की आवश्यकता नहीं होती है इसे स्थाई बयाना राशि(Standing Earnest Money) कहते हैं।(Para 1245E)

Survey

सर्वेक्षण

  • किसी परियोजना का निर्माण न्यायोचित है या नही इसका निर्णय लेने के लिए कि गयी शुरुआती जांच पड़ताल को सर्वेक्षण कहते है।
  • सर्वेक्षण मुख्यतः दो प्रकार के होते है :-
    1. (a) यातायात सर्वेक्षण (Traffic Survey)
      (b) इंजीनियरिंग सर्वेक्षण (Engineering Survey)
  • किसी क्षेत्र या खंड के विस्तृत अध्ययन के लिए किया जाने वाला सर्वेक्षण यातायात सर्वेक्षण कहलाता हैैैै।
  • यह सर्वेक्षण स्वतंत्र या टोह सर्वेक्षण एवं प्रारंभिक अभियांत्रिकी सर्वेक्षण के साथ भी किया का सकता है।
  • इंजीनियरिंग सर्वेक्षण को तीन भागों में बांटा जा सकता हैः-
    1. टोह सर्वेक्षण (Reconnaissance Survey)
    2. प्रारंभिक सर्वेक्षण (Preliminary Survey)
    3. अन्तिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण(Final Location Survey)
  • किसी भी क्षेत्र के ऐसे सभी स्थूल (rapid) तथा द्रुत (rough) अन्वेषण पर जो किसी परियोजित लाइन के एक अथवा अधिक मार्ग की तकनीकी व्यावहारिकता एवं स्थूल लागत (लगभग लागत) मालूम करने के लिए किया जाने वाला सर्वेक्षण टोह सर्वेक्षण कहलाता है।
  • वह सर्वेक्षण जिसमें उस मार्ग अथवा उन वैकल्पिक मार्गो कि विस्तृत उपकरणीय-जांच की जाती है जो टोह सर्वेक्षण के परिणाम स्वरूप चुने गए थे ऐसा सर्वेक्षण प्रारंभिक सर्वेक्षण कहलाता है।
  • प्रारंभिक सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण सर्वेक्षण है क्योंकि यातायात सर्वेक्षण के साथ इस सर्वेक्षण पर विचार करने से यह परिणाम निकाला जाता है कि लाइन बनाईं जाय या नहीं। से
  • किसी परियोजना के निर्माण के फैसला लेने के बाद किया जाने वाला सर्वेक्षण अन्तिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण कहलाता हैं।
  • किस परियोजना का निर्माण प्राक्कलन(Construction Estimate), अन्तिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण के आधार पर बनाया जाता है।
  • प्रारंभिक सर्वेक्षण और अन्तिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण में मुख्य अंतर यह है कि प्रारंभिक सर्वेक्षण में संरेखण के खुंटे लगाने के लिए थियोडोलाइट कि आवश्यकता नहीं होती है(अर्थात खूंटे नहीं गाड़े जाते है) जबकि अन्तिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण में चुने गए संरेखण में जमीन पर थियोडोलाइट से पूरी तरह खूंटे गाड़ दिए जाते है।
  • यातायात के सर्वे के आंकड़ों की प्राप्त वास्तविक आंकड़ों से तुलना की जाती है जिसे उत्पादकता जांच(productivity test) कहते हैं।
  • रेलवे भूमि का वर्गीकरण स्थाई और अस्थाई भूमि में किया जाता है।
  • रेल के भूमि प्राक्कलन फॉर्म नंबर 910E में बनाए जाते हैं।
  • RLDA (Rail Land Development Authority) का गठन नवंबर 2006 में रेलवे के पास अतिरिक्त जमीन का सुचारू ढंग से क्रियान्वित करने के लिए किया गया।

Estimate

प्राक्कलन

  • वह विवरण जो कि किसी कार्य पर खर्च के लिए प्रस्ताव का ब्यौरा प्रस्तुत करने हेतु सक्ष्म अधिकारी की स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करने के लिए तैयार किया जाता है प्राक्कलन कहलाता है।
  • प्राक्कलन में कार्य के नाम, स्थल, निधि व्यवस्था के उल्लेख के अतिरिक्त विभिन्न मदों के अंतर्गत लगभग कितना खर्च जैसे रोकड़, मजदूरी और सामग्री आदि पर होगा का विवरण होता है।
  • कार्य पर किए जाने वाले श्रमिक एवं भंडार की लागत को दर्शाने का एक साधन प्राक्कलन भी है।
  • व्यय पर नियंत्रण रखने का एक महत्वपूर्ण साधन प्राक्कलन भी है यह कार्य की भौतिक तथा वित्तीय प्रगति पर प्राक्कलन के आधार पर निगरानी रखी जा सकती है।
  • प्राक्कलन को मुख्यतः दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है :- 1 चालू लाइन की शाखा द्वारा तैयार प्राक्कलन 2. निर्माण शाखा द्वारा तैयार प्राक्कलन
  • रेलवे में सात प्रकार के प्राक्कलन बनाए जाते हैं।
  • किसी कार्य करने के प्रशासनिक स्वीकृति हेतु बनाया जाने वाला मसौदा/प्राक्कलन संक्षिप्त प्राक्कलन या सार विवरण प्राक्कलन (Abstract Estimate, पैरा 702 ईजी.) कहलाता है।
  • किसी कार्य करने के तकनीकी स्वीकृति हेतु बनाया जाने वाला मसौदा/प्राक्कलन  ब्यौरेवार प्राक्कलन या विस्तृत प्राक्कलन (Detailed Estimate, पैरा 703 ईजी.) कहलाता है।
  • मूल प्राक्कलन में नए कार्य/मद को शामिल करने के लिए पूरक प्राक्कलन (Supplementary Estimate , पैरा 707E) बनाया जाता है।
  • किए जाने वाले कार्य पर ब्यौरेवार प्राक्कलन में स्वीकृत राशि से अधिक अथवा कम राशि व्यय का आभास होने पर बनाए जाने वाला प्राक्कलन संशोधित प्राक्कलन(Revised Estimate, पैरा 708E) है।
  • किसी परियोजना के रेलवे बोर्ड से प्रशासनिक स्वीकृति हेतु बनाया जाने वाला प्राक्कलन परियोजना का संक्षिप्त (सार) प्राक्कलन(Project Abstract Estimate, Para 709E) है।
  • किसी परियोजना के रेलवे बोर्ड से तकनीकी स्वीकृति हेतु बनाया जाने वाला प्राक्कलन निर्माण प्राक्कलन(Construction Estimate, Para 710E) है।
  • निर्माण प्राक्कलन का अतिक्रमण करते हुए बनाया जाने वाला प्राक्कलन समापन प्राक्कलन(Completion Estimate, Para 713E) है।
  • नई लाइन चालु होने के 18 माह पहले तैयार किया जाने वाला प्राक्कलन समापन प्राक्कलन  है।
  • समापन प्राक्कलन प्रस्तुत किए जाने के प्रथम 3 छमाही अवधि के भीतर रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत किया जाने वाला रिपोर्ट समापन रिपोर्ट(Completion Report) है।
  • सक्ष्म प्राधिकारी द्वारा अंतिम स्वीकृत की गई राशि तथा कार्य पर किए गए खर्च की तुलना के लिए तैयार किया गया रिपोर्ट समापन रिपोर्ट(Completion Report) कहलाता है।
  • ऐसे कार्य जिनकी लागत गैर रेलवे स्रोतों से किया जाना है  निक्षेप कार्य या जमा निर्माण कार्य(Deposit Work) कहलाते हैं। जैसे प्राइवेट पार्टी, दूसरे सरकारी विभाग/संस्था के लिए किया गया कार्य आदि।
  • स्टाफ क्वार्टर एवं अन्य किराया प्राप्त होने वाले भवन के अनुमान में किराया विवरण में दर्शाए गई प्रतिशत आय प्रत्येक श्रेणी के क्वार्टर पर खर्च की विनियोजित राशि के 6% से कम नहीं होनी चाहिए।
  • रेलवे द्वारा स्वयं की बचत से स्थापित की गई निधि को पूंजी निधि(Capital Fund) कहते है।
  • पूंजी निधि(Capital Fund) की स्थापना 1992-93(01.04.1993) में रेलवेे कंवेशन कमिटी की सिफारिशों पर गई।
  • विकास निधि(Development Fund) को चार भागों में बांटा गया है:-
    1. DF-1: रेल परिवहन के सभी यात्री सुविधा उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाएं जुटाना।
    2. DF-2: श्रमहित संबंधी निर्माण कार्य जिनमें प्रत्येक पर नए छोटे निर्माण कार्यो की लागत सीमा ₹1 लाख से अधिक हो।
    3. DF3:- ₹3 लाख से अधिक लागत के परिचालन सुधार संबंधी अलाभकारी निर्माण कार्य।
    4. DF4:- संरक्षा संबंधी कार्य
  • मूल्य हास निधि(Depreciation Fund) की स्थापना 1 अप्रैल 1924 को की गई थी।
  • सुधरी हुई गिट्टी का बदलाव आरक्षण हास निधि(Depreciation Reserve Fund) से किया जाएगा।
  • वह कार्य जो यात्रियों तथा रेलवे का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों की सुविधा के लिए किए जाते हैं उनका खर्चा विकास निधि(Development Fund) को नामे  किया जाता है।
  • विशेष संरक्षा निधि(Special Railway Safety Fund) वर्ष 2008-2009(01-04-2008) में बंद कर दिया गया।
  • विशेष संरक्षा निधि(Special Railway Safety Fund) का गठन बकाया पड़े यात्री सुविधा एवं संरक्षा संबंधी बदलाव के कार्यों को नियत समय पर पूरा करने के लिए किया गया था।
  • विशेष संरक्षण निधि में पड़ी बकाया राशि DRF में हस्तांतरित की गई।
  • रेलवे संरक्षा निधि(Railway Safety Fund) की स्थापना 1 अप्रैल 2001 को रेलवे कंवेशन कमिटी की सिफारिश पर की गयी थी।
  • RRSK(Rashtriya Rail Sanraksha Kosh) की स्थापना 2017 18 वित्तीय वर्ष में सुरक्षा समीक्षा समिति के सिफारिश पर की गई थी।
  • RRSK का मुख्य उद्देश्य शून्य दुर्घटना मिशन है।